शिकारी और कबूतर – Shikari and Kabutar Story in Hindi in Written 2025
एक वृक्ष पर बहुत कबूतर रहते थे। एक दिन प्रात: काल कबूतर भोजन की तलाश में उड़ते उड़ते उनकी दृष्टि एक जगह बिखरे हुए दानों पर पड़ी। वहां एक शिकारी ने जाल फैला रखा था और वह उस पर चावल विखेर रखे थे। कबूतरों के राजा को शंका हो गई। उसने सोचा -‘यहां सुनसान जंगल में ये दाने कहां से आए। अवश्य कहीं दाल में कुछ काला है। खैर, देखा जाएगा ऐ.सा विचार करके वे नीचे उतरे। सभी कबूतर दाना चुगने लगे और जाल में फंस गए।
सब कबूतर घबरा गए थे। अपने राजा को बुरा भला कहने लगे। राजा ने कहा-‘भाइयों संकट में घबराना नहीं चाहिए। हिम्मत रखो।’ कबूतरों ने राजा से कहा -‘सभी कबूतर जाल सहित इकट्ठे उड़े। सभी कबूतरों ने ऐसा ही किया। सब कबूतर आकाश में जाल सहित उड़े जा रहे थे। शिकारी उनके पीछे-पीछे धरती पर भागा जा रहा था और कहता जा रहा था -“पक्षी गिरेंगे, मेरा शिकार बनेंगे।”परन्तु कबूतर उड़ते-उड़ते गए शिकारी की आंखों से ओझल हो गए। शिकारी हाथ मलता रह गया।

Shikari and Kabutar Story in Hindi in Written 2025
शिक्षा: एकता में बल है।












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